Pooja Shani Dev on Saturday

Shani Dev: शनिवार के दिन करें शनिदेव की पूजा, बिगड़े काम बनेंगे 

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Pooja Shani Dev on Saturday

Shani Dev: शनिदेव को न्याय का देवता कहा गया है। वे व्यक्ति को उनके कर्मों के अनुसार फल देते हैं। इनकी बुरी नजर से व्यक्ति पर बुरा असर पड़ता है। इन उपायों से शनि देव की बुरी नजर से बचा जा सकता है।

घर पर कैसे करें पूजा (How to Pooja at Home)
यदि किसी कारणवश आप शनिदेव महाराज (Shanidev Maharaj) के मंदिर व पीपल के पास नहीं जा पा रहे हैं, तो आप शनिदेव की अराधना इस प्रकार घर पर कर सकते हैं। सर्वप्रथम सुबह स्नान कर निवृत्त हो जाएं। अब स्वच्छ काले रंग का वस्त्र धारंण करें. घर के मंदिर (Mandir) में तेल का दीपक जलाएं और गणेश जी (Ganesh Ji) के पूजन से पूजा प्रारंभ करें। भगवान शिव (Bhagavan Shiv) औऱ हनुमान जी को फल और फूल चढ़ाएं. पूजा के अंत में 21 बार शनिदेव महाराज के मंत्रों का जाप करें और अंत में कपूर से आरती करें। पूरे दिन उपवास करें और शाम को पूजा (Pooja) दोहराकर पूजा का समापन करें। उपवास के बाद भूलकर भी मांसाहारी भोजन का सेवन ना करें।

पूजा के मंत्र (mantr of Pooja)
ओम शनैश्चराय विदमहे सूर्यापुत्राय धीमहि।।

तन्नो मंद: प्रचोदयात।।

शनि यंत्र स्थापित करें (shani yantr)
शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए शनिवार के दिन शनि यंत्र की स्थापना कर उसका विधिपूर्वक पूजन करें। इसके बाद हर दिन शनि यंत्र की विधि-विधान से पूजन करें और सरसों के तेल से दीपक जलाएं। तथा नीला या काला फूल चढ़ाएं। मान्यता है कि ऐसा करने से शनिदेव खुश होते हैं।

सरसों के तेल का दीपक (mustard oil lamp)
शनिवार को शाम के वक्त बरगद और पीपल के पेड़ के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाएं। फिर दूध और धूप चढ़ाएं।

शनिवार को करें शनि देव की आरती (Do Shani Dev Aarti on Saturday)
Saturday शनिवार के दिन शनि देव की पूजा करने का विधान है। शनि देव की आरती करने से शनि देव शीघ्र प्रसन्न होते हैं और भक्तों के कष्ट और संकट दूर करते हैं।

शनिदेव की आरती (Aarti of Shani Dev)
जय जय श्री शनिदेव भक्तन हितकारी।
सूर्य पुत्र प्रभु छाया महतारी॥
जय जय श्री शनि देव....

श्याम अंग वक्र-दृष्टि चतुर्भुजा धारी।
नी लाम्बर धार नाथ गज की असवारी॥
जय जय श्री शनि देव....

क्रीट मुकुट शीश राजित दिपत है लिलारी।
मुक्तन की माला गले शोभित बलिहारी॥
जय जय श्री शनि देव....

मोदक मिष्ठान पान चढ़त हैं सुपारी।
लोहा तिल तेल उड़द महिषी अति प्यारी॥
जय जय श्री शनि देव....

देव दनुज ऋषि मुनि सुमिरत नर नारी।
विश्वनाथ धरत ध्यान शरण हैं तुम्हारी॥
जय जय श्री शनि देव भक्तन हितकारी।।

 

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